डियर जिंदगी: दुख का आत्‍मा की 'काई' बन जाना...
topStories1hindi439821

डियर जिंदगी: दुख का आत्‍मा की 'काई' बन जाना...

बाढ़ का पानी अगर शहर में एक बार घुस जाए तो आसानी से कहां निकलता है... और असली परेशानी तो पानी निकलने के बाद शुरू होती है!

डियर जिंदगी: दुख का आत्‍मा की 'काई' बन जाना...

जो पत्‍थर नदी की यात्रा में शामिल नहीं होते. एक तरफ किनारे में जमा होते जाते हैं. जो पत्‍थर नदी के सफर में शामिल नहीं हैं, लेकिन उसके साथ संवाद में हैं, नदी के साथ भीगते रहते हैं, उनमें काई (MOSS) नहीं जमती. लेकिन जो पत्‍थर कहीं पीछे छूट जाते हैं, किसी कोने में फंस जाते हैं, धीरे-धीरे उन पर काई जमने लगती है. 


लाइव टीवी

Trending news