अपने प्रेम संबंध के लिए भी हमने सोशल मीडिया को सबसे बड़ा मंच बना दिया. मन जुड़ने से लेकर ‘तार-टूटने’ तक की सूचना अब अभिभावक को भी यहीं मिलती है!
Trending Photos
सब कुछ कह देना, बिना कहे सब समझ लेना. चुपके से प्यार जता देना, आंखों ही आंखों में अहसास बयां कर देना. पिताजी की प्रशंसा के लिए उम्र भर इंतजार करना. एक दिन अचानक उनकी नजर में वह सब कुछ दिख जाना जिसके लिए अब तक तरसते रहे! यह सारा बयान उस पीढ़ी का है, जिसमें वह सभी लोग आते हैं जो आज चालीस बरस के आसपास हैं. हमारी परवरिश की यह बहुत ही खास अदा रही है कि बिना कहे सब कुछ समझ जाना!
हम ऐसे समय के गवाह रहे, जहां भाव को व्यक्त किए बिना अक्सर समझ लेने को सबसे अधिक महत्व दिया जाता था. अब ऐसे सभी लोग नए अहसास से गुजर रहे हैं. सोशल मीडिया, इंटरनेट, स्मार्टफोन के बाद अगर हम अपने समाज को सूक्ष्मता से देखें तो पाएंगे कि व्यवहार में कुछ परिवर्तन इतनी तेजी से आए कि हम लगभग बदलने की कगार पर खड़े हैं.
डियर जिंदगी: पति, पत्नी और घर का काम!
हम सब कुछ तुरंत कह देने की ओर बढ़ गए हैं. हमारे भीतर से ‘प्रतीक्षा और धैर्य’ हर दिन खत्म होता जा रहा है. मजेदार बात यह है कि इन्हें हम भीतर से यह कह कर खत्म किए जा रहे हैं कि मुझसे बर्दाश्त नहीं होता! रिश्तों, प्रोफेशनल जिंदगी से ‘प्रतीक्षा और धैर्य’ के चले जाने का असर जीवन में बढ़ते तनाव, मिजाज में बढ़ती तुनकमिजाजी, बिना सुने दूसरे के बारे में अपनी राय रख देने जैसी बातें इन दो गुणों की भारी कमी की ओर संकेत कर देती हैं.
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी : जो तुम्हें अपने करीब ले जाए...
जीवन में सौ तरह की चीजें चलती रहती हैं. हर बात को हर किसी से साझा नहीं किया जा सकता. लेकिन अब ऐसा लगता है, मानो यह किसी पुराने जमाने की बात हो! मैं अपने मित्रों को देखता हूं. जिनमें सुशिक्षित, लेखक, पत्रकार, वैज्ञानिक, अभिनेता शामिल हैं, सब अपने छोटे-मोटे मतभेद, कड़वाहट को पचा नहीं पाते. उन्हें लगता है, यहां लिखकर मन हल्का हो जाएगा. ऐसा नहीं है, हमारे यहां तो घर के झगड़े में पड़ोसी को शामिल करने का रिवाज तक नहीं है, ऐसे में आप अगर उसे चौराहे पर ले जाएंगे तो कैसे बात बनेगी!
हमने अपने प्रेम संबंध के लिए भी सोशल मीडिया को सबसे बड़ा मंच बना लिया है. मन जुड़ने से लेकर ‘तार-टूटने’ तक की सूचना अब अभिभावक को भी यहीं मिलती है! रिश्तों में उतार-चढ़ाव को ‘निजी’ रखना, बेहद सामान्य व्यवहार था. सबसे सब कुछ कह देना, सबको बता देना, इस नियम ने परिवार, रिश्ते की नींव हिला दी है!
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी: हम जैसे हैं !
कुछ दिन पहले मैं गुड़गांव के निहाल जैन-अर्पिता श्रीवास्तव से मिला. जिनकी सगाई दो महीने पहले हुई, शादी चार महीने बाद है. उनकी जिंदगी में एक फेसबुक पोस्ट ने खलबली मचा दी है. लड़के की बहन पर लड़की की पोस्ट को लेकर शुरू हुआ घमासान ‘रिश्ते’ पर इतना भारी पड़ रहा है कि दोनों परिवार में भारी तनाव है.
जीवन सपाट नहीं है, उसमें बहुत से मोड़ हैं. जैसे मोड़ होते हैं, वैसे ही मुड़ना होता है. आप मैदान में जैसी कार चलाते हैं, वैसी कार पहाड़ पर तो नहीं चलाते! यही बात संबंधों पर एकदम ऐसे ही लागू होती है.
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी : जब ‘सुर’ न मिलें…
हम सब कुछ क्यों सबके साथ बांटने पर आमादा हैं. क्यों उस पल जब गुस्सा दिमाग में तैर रहा है, मोबाइल को एक ओर फेंक नहीं देते! उस समय जब दिमाग पर अपना नियंत्रण शिथिल है, हम दुनिया को अपना दर्द सुनाने बैठेंगे तो हमारी कहानी भी किसी न किसी दिन निहाल और अर्पिता की तरह मुश्किल में आ सकती है!
हमें दूसरे के किस्से पर टिप्पणी करते, सुखी-दुखी होते हुए इस बात का ख्याल रखना होगा कि कहीं हम भी उसी चक्रव्यूह में तो नहीं फंस रहे! कभी-कभी चुप रहना, अपनी कोमल भावना, निजी रिश्ते में आ रहे परिवर्तन को ‘चुपके से’ संभालना इतना खराब भी नहीं है, जितना हमने मान लिया है!
गुजराती में डियर जिंदगी पढ़ने के लिए क्लिक करें...
मराठी में डियर जिंदगी पढ़ने के लिए क्लिक करें...
ईमेल : dayashankar.mishra@zeemedia.esselgroup.com
पता : डियर जिंदगी (दयाशंकर मिश्र)
Zee Media,
वास्मे हाउस, प्लाट नं. 4,
सेक्टर 16 A, फिल्म सिटी, नोएडा (यूपी)
(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)
(https://twitter.com/dayashankarmi)
(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)