जब सामाजिक कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामलू का हुआ निधन और भाषाई आधार पर बंट गया पूरा देश...
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जब सामाजिक कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामलू का हुआ निधन और भाषाई आधार पर बंट गया पूरा देश...

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजे एक बार फिर जातीय और भाषाई समीकरण पर निर्भर हो सकते हैं. भारतीय राजनीति में जातीय और भाषाई समीकरण शुरू से ही हावी रहे है. 1951 में राज्‍यों के पुनर्गठन के दौरान भी भाषाई समीकरण बेहद हावी रहा है. 

 

जब सामाजिक कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामलू का हुआ निधन और भाषाई आधार पर बंट गया पूरा देश...

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) को लेकर देश में सरगर्मियां बेहद तेज हो चुकी है. इन स‍रगर्मियों के बीच आपको बताते है कि राज्‍यों का पुनर्गठन कब और कैसे हुआ. दरअसल, भारतीय संविधान के तहत 1951 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान देश में कुल 26 राज्‍यों में बंटा हुआ था. उस समय इन 26 राज्‍यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया था.  पहली श्रेणी में गर्वनर और विधान पालिका के अधीन आने वाले नौ राज्‍यों को शामिल किया गया था. दूसरी श्रेणी में विधानपालिका की देखरेख में काम करने वाली रियासतों को शामिल किया गया था. वहीं, तीसरी श्रेणी में राजाओं या चीफ कमिश्‍नर द्वारा शासित छोटी रियासतों को शामिल किया गया था. 1951 का पहला लोकसभा चुनाव इसी व्‍यवस्‍था के तहत हुआ था. उल्‍लेखनीय है कि भारत में राज्‍यों के पुनगर्ठन की कवायद 1928 से ही शुरू हो गई थी. जैसे-जैसे समय बीतत गया, देश में यह मांग तेजी से जोर पकड़ने लगी. देश के पहले लोकसभा चुनाव के बाद राज्‍यों के पुनर्गठन की मांग एक बार फिर मुखर हो चुकी थी. आइए, चुनावनामा में जानते हैं कि देश में राज्‍यों का पुनर्गठन कब और किस आधार पर हुआ.


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