शनिवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन रामदूत हनुमान का नाम लेने से अतुलित पुण्य की प्राप्ति होती है. विशेष तौर पर हनुमान जी के इन 12 नामों का जाप सभी प्रकार से सुख प्रदान करता है.
योगिराज भगवान कृष्ण की असंख्य बाल लीलाओं में कालिया दहन की घटना बड़ी अहम है. जिसमें बालक कृष्ण ने अनगिनत मुख वाले विशाल कालिया नाग के फन पर अलौकिक नृत्य किया था. इसमें जीवन का गंभीर संकेत छिपा हुआ है.
जो भक्त बिल्कुल भाव से प्रभु के प्रति समर्पित होता है, प्रभु श्रीराम उस पर भी कृपा करते हैं. लेकिन रामचरित मानस अकेले श्रीहरि या श्रीराम की कृपा पाने का साधन नही है, बल्कि इसके श्रवण व मनन से महादेव भी प्रसन्न होते हैं.
तिथियों व व्रत आदि के आधार पर मार्गशीर्ष {अगहन} मास के चतुर्थी तिथि को संकष्ठी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. संकष्ठी चतुर्थी व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित है.
नानक देव का जीवन दर्शन सरल और सहज है. बस कठिन इतना ही है कि मनुष्य को इस दर्शन पर आगे बढ़ना है. आज का आदमी यही नहीं कर पाता है. जो सौभाग्यपुरुष यह कर लेता है, उसके लिए फिर तो नानक नाम जहाज है, चढ़ै सो उतरे पार.
मनुष्यों की दिवाली से एक पक्ष (15 दिन) बाद देवताओं की दीपावली होती है. जब सभी देवी-देवता अपने लोकों से उतर कर धरती पर आते हैं और भगवान शिव की उपासना करते हैं. इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है.
आपको बता दें कि यह एक पेनुब्रल (Penumbral) ग्रहण होगा. इसमें सूर्य (Sun) से चंद्रमा (Moon) पर सीधी जाने वाली रोशनी (Light) के कुछ हिस्से को पृथ्वी (Earth) की बाहरी परछाई रोकती है.
नागार्जुन वेश में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ 16 प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित होकर योद्धा का वेश धारण करते हैं. यह वेश परंपरा परशुराम वेश भी कहलाती है. इस बार सादे तरीके से इस अनुष्ठान को संपन्न कराया गया.
गोस्वामी तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा एक स्वयं सिद्ध रचना है. आज भी करोड़ो लोग इसका नित्य पाठ करके लाभ उठाते हैं. इसमें एक पंक्ति है 'राम रसायन तुम्हारे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा'. इसमें भगवान राम के नाम को रसायन यानी केमिकल बताया गया है. आखिर क्यों?
सनातन धर्म आज जीवित है तो उसमें सबसे बड़ा योगदान 8वें गुरु तेग बहादुर जी का है. अन्यथा सनकी मुगल औरंगजेब ने पूरे भारत के हिंदुओं को मजहबी कट्टरपंथ की आग में झोंक ही दिया था.
समुद्र मंथन में विष की हल्की बूंदों से जहां भांग-धतूरा जैसी बूटियां जन्मीं तो वहीं अम़ृत छलकने से आंवला और अन्य गुणकारी पेड़ों का जन्म हुआ. एक मान्यता यह भी है कि ब्रह्मा जी के आंसू से आंवला बना.
कार्तिक की कीर्ति ऐसी है कि यदि कोई न भी चाहे तो भी उसका एक-एक समय भगवद स्मरण में बीतता है. इसी कार्तिक माह में भगवान की भूलोक की एक और लीला बड़ी प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए गोलोक धाम से देवता भी उतर आए थे. यह लीला है भगवान की गो पूजन लीला. जिसे गोपाष्टमी कहते हैं
पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरण का दौर चला, ए माई, हमको भी, माई हमको भी, माई सबको प्रसाद देती जातीं. लोग पैर छूते वह आशीष देतीं. सूर्य देव अब क्षितिज से ऊपर उठ कर आ चुके थे और नारंगी आकाश पीलापन लेने लगा था.
छठ व्रत सिर्फ एक पर्व नहीं महापर्व है. पीएम मोदी ने बड़े भावभीने अंदाज में इसकी बधाई दी है. वास्तव में छठ पूजा की परंपराएं प्रधानमंत्री के सपने 'वोकल फॉर लोकल' और 'स्वच्छ भारत अभियान' के सबसे करीब है.
ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेकर असुरों का संहार करने वाली देवी कात्यायनी कहलाईं. यही कात्यायनी माता छठी मइया कहलाती हैं. मानव समाज व समस्त सृष्टि उनकी संतान है, और छठ माता के रूप में वह इनका पोषण करती हैं. देवी शताक्षी और शाकुंभरी इन्हीं की शक्तियां हैं जो रस, जल और शाक-सब्जियों से पोषण देती हैं.
रक्षाबंधन की ही तरह भाई-बहनों के लिए पवित्र भाई दूज पर्व उनके संबंधों को और प्रगाढ़ करता है. प्राचीन काल से बहनें अपने भाई के लिए इस दिन विशेष प्रार्थना करती आईं हैं. उत्तर प्रदेश व उत्तर भारत में इस पर्व को मनाने की परंपरा अलग-अलग विधानों से हैं.
वैदिक रीति व मान्यता के अनुसार इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है. साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां खिलाई जाती हैं. गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है.
आशा का यह दीप जहां जलता है वहां के वातावरण से सारी नकारात्मकता को सोख लेता है और भस्म कर डालता है. वह उन्हें काजल की रेख में बदल डालता है. वह उन सभी विचारों को हर लेता है जिसमें हार, निराश और दैन्य का दुख पनपकर अपनी जगह बनाते हैं. दीपक की यह ज्योति नवजीवन प्रदान करती है. इसलिए भारतीय मनीषा में दीपक की ज्योति को साक्षात परब्रह्म कहा गया है.