शैव और वैष्णव मत के साथ कुंभ में जो अखाड़े आते हैं उनमें सिखों का भी एक तीसरा अखाड़ा शामिल होता है. नागा साधु व अन्य संतों के बीच इनकी अलग ही पहचान होती है. सेवा भाव लिए, निर्मल आचरण वाले और परोपकार को पहला उपदेश मानने वाला यह उखाड़ा उदासीन अखाड़ा कहलाता है.
शनि देव को प्रसन्न रखना है तो उसके लिए सबसे उत्तम उपाय है अपने कर्मों को सुधारना. यदि आप सही रास्ते पर चलेंगे, अच्छे कार्य करेंगे तो शनिदेव खुद प्रसन्न होगें.
शनिवार यानी आज 16 जनवरी 2021 को विनायकी चतुर्थी मनाई जा रही है. गणेश भगवान अपने भक्तों के संकटों को दूर करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं
अपने जीवन की किसी बाधा को दूर करने या बदलाव लाने के लिए शनिवार को विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं. जिससे आपका जीवन सफल हो सकता है. इन खास टोटकों पर ध्यान देंगे तो आपके जीवन में बदलाव के साथ सारे दुःख दर्द दूर हो जाएंगे.
वृहदारण्यक उपनिषद में एक सूक्ति है, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’. यानी कि हे परमात्मा, मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो. अंधकार यानी कि रोग, अविद्या, अज्ञानता, भय और शोक के रूप में हमें चारों ओर से घेर लेने वाला शत्रु.
बागेश्वर पुराने इतिहास और सुनहरे अतीत को संजोए हुए है. स्कंदपुराण के अनुसार बागेश्वर में प्रसिद्ध ‘बागनाथ मंदिर’ महादेव की आशीर्वाद की अनुभूति का स्थल है. सरयू के तट को सरयू बगड़ कहा जाता है. इसी सरयू बगड़ में आकर लोग जुटते हैं, संगम में स्नान करते हैं. कुंभ के दौरान भी यहां लोगों का आना जारी रहेगा.
देवी लक्ष्मी की आराधना के कई तरीके हैं. हालांकि किसी भी ईश्वर की पूजा केवल सच्चे मन से की गई प्रार्थना होती है. लेकिन अगर इसके साथ ही उनके अभीष्ट मंत्रों का साथ मिल जाए तो पूजा और भी कल्याणकारी हो जाती है. श्रीसूक्त यही पाठ है
भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मकर संक्रांति मनाई जाती है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है. सूर्य के उत्तरायण होने के कारण स्थानीय भाषा में इसे उत्तरैणी और मकर राशि में प्रवेश करने से इसे मकरैणी कहा जाता है.
हरिद्वार और ऋषिकेश उत्तराखंड में दो स्थान हैं, जहां देवताओं के साथ महादेव और महाविष्णु दोनों का निवास है. मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा मां की धारा में पुण्य की डुबकी लगाई.
केरल के पठनामथिट्टा में बना सबरीमाला मंदिर तकरीबन 800 साल पुराना है. भगवान अयप्पा को समर्पित यह मंदिर दक्षिण भारत का प्रसिद्ध तीर्थ है. भगवान अयप्पा को हरिहरन नाम से भी जाना जाता है.
सूर्य, गुरु, शनि, बुध और चंद्रमा एक साथ मकर राशि में गतिशील होंगे. इससे बन रहे सुयोग को पंचग्रही योग कहते हैं. इस योग में किया गया स्नान-दान, पूजा-पाठ अनंत सुख-समृद्धि कारक होगा
14 जनवरी को सुबह 8.14 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. मकर-संक्रांति के इस मौके पर स्नान-दान आदि के लिए सुबह 8:24 बजे से शाम 5:46 बजे तक पुण्य काल रहेगा. सूर्य के इस राशि परिवर्तन काल को ही संक्रांति काल कहा जाता है.
मकर संक्रांति के मौके पर दान का महत्व इसलिए है क्योंकि इसका फल कई गुना पुण्य के रूप में मिलता है. लेकिन राशि परिवर्तन के अनुसार हम दान पर ध्यान दें तो यह और भी अधिक फलीभूत होगा.
आग की बात करें तो हर परंपरा ने अग्नि की जरूरत को पहचाना है. सनातन परंपरा में कहती है, प्रकृतिः पंच भूतानि. यानी पांच भूतों (तत्वों) से बनी है यह प्रकृति, जिसमें पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु शामिल हैं. हमारे या किसी भी जीव के अंदर जो ऊर्जा तत्व है वह अग्नि ही है
गंगा स्नान का महत्व इसलिए भी है ताकि मनुष्य पानी की तरह सरलता और तरलता की को सीखे. उसका सारा दर्प नदी की धारा के साथ बह जाए इसलिए Mahakumbh में स्नान की परंपरा है.