ओरछा में छह महल व बारह बड़े प्राचीन मंदिर इस नगर के स्थापत्य की शान हैं. रामराजा, चतुर्भुज व लक्ष्मीनारायण मंदिर के अलावा किले के अंदर बने राधाविहारी, वनवासी, पंचमुखी महादेव, जानराय, कल्यान राय, राधावल्लभ, छारद्वारी, मकड़ारिया मंदिर , विंध्यवासिनी मंदिर, बेतवेश्वर का मंदिर शामिल हैं.
अधिक मास की पूर्णिमा में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लक्ष्मी नारायण की पूजा, दान-पुण्य व पवित्र नदी में स्नान का विधान है. पूर्णिमा के दिन चांद अपनी पूरी आकृति में होता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक वामन अवतार का दुर्लभ मंदिर घनी आबादी हटिया में आज भी स्थित है. यह मंदिर आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि समर्पण भाव से वामन देव की पूजा करने पर अहंकार समाप्त हो जाता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. यहां सामान्य दिनों में काफी श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं.
भगवान विष्णु को समर्पित, रंगनाथस्वामी मंदिर महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है. पीठासीन देवता की पूजा भगवान रंगनाथ के रूप में की जाती है. यहां श्रीरंगनाथ स्वामी भगवान विष्णु को नाग अनादि शेष शैय्या पर विश्राम अवस्था में स्थापित किया गया है
भगवान विष्णु के मुख्य व शक्तिशाली अवतारों में से एक अवतार 'हयग्रीव' का भी है. शाब्दिक अर्थ में इस शब्द का मतलब हुआ घोड़े की जैसी गर्दन वाला. 'हयग्रीव माधव मंदिर' गुवाहाटी से 30 किमी की दूरी पर मोनिकूट नाम की एक छोटी-सी पहाड़ी पर हाजो, असम में स्थित है
अयोध्या स्थित कनक भवन मंदिर के दर्शन बड़े ही विशेष हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह स्थल त्रेता और द्वापर युग दोनों की ही चेतना को खुद में संजोए हुए है. श्रीहरि के दोनों ही अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण से इस मंदिर की महिमा जुड़ी हुई है.
पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के एक पुत्र, पति, योद्धा और राजा के रुप में अद्वितीय थे. उनका राम-राज्य आज भी पूरी दुनिया के लिए आदर्श माना जाता है. एक राजा के रुप में भगवान राम के आदर्शों की श्रेष्ठ झलक तब दिखाई देती है, जब उनके भाई भरत मुलाकात के लिए पहुंचे.
वैष्णव मत के इस मंदिर को दसवीं सदी में राजा साहिल वर्मन ने बनवाया था. स्थानीय मौसम को देखते हुए मंदिर में लकड़ी के तोरण द्वार और शिखर बनवाए गए थे. श्रीविष्णु का वाहन गरुड़ धातु की बनी प्रतिमा रूप में मुख्य द्वार पर सुशोभित है.
छत्तीसगढ़ के राजिम में राजीव लोचन मंदिर, गरियाबंद के उत्तर-पूर्व में महानदी के दाहिने किनारे पर स्थित है. यहां महानदी से पैरी ओर सोंढ़ूर नाम की इसकी सहायक नदियां इससे मिलती हैं. इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहते हैं.
पुराणों में वर्णित गया तीर्थ की महत्ता का कारण है यहां स्थित श्रीविष्णु पद मंदिर. भगवान विष्णु के चरण कमल की छाप -पदचिह्न वाले इस मंदिर को विष्णुपद मंदिर कहा जाता है. इसे धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है.
श्री रधुनाथ मंदिर जम्मू शहर के मध्य में स्थित है. यह मंदिर अपनी कलात्मकता का एक विशिष्ट उदाहरण है. जम्मू तवी स्टेशन से महज 3 किमी की दूरी पर मांझिन है. यहां के पक्की ढाकी इलाके में फात्थू चौगान के पास श्रीरघुनाथ मंदिर स्थित है. इस मंदिर पर आतंकी हमला भी हो चुका है.
पुष्कर तीर्थ (राजस्थान) स्थित करीब 900 वर्ष पुराने वराह मंदिर का निर्माण अजमेर के चौहान शासक अर्णीराज (अनाजी चौहान) ने कराया था. पुष्कर सरोवर के वराह घाट के पास स्थित वराह चौक से एक रास्ता बस्ती के भीतर इमली मोहल्ले तक जाता है, जहां यह विशाल मंदिर स्थापित है.
इन बोर्ड ने श्रद्धालुओं को दिव्य अटका आरती में शामिल होने की अनुमति भी दे दी है. अब श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग के साथ ही करंट बुकिंग के जरिए अटका आरती में शामिल हो सकेंगे. बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, अटका स्थल पर करीब 300 श्रद्धालु ही एक समय में शामिल हो सकते हैं.
शामलाजी गुजरात के साबरकांठा ज़िले में स्थित है. यह राज्य के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की काले रंग की अद्भुत प्रतिमा है. इन्हें यहां गदाधर औऱ साक्षी गोपाल कहकर पूजा की जाती है.
मलमास में विष्णुमंदिर के दर्शन श्रृंखला में जी हिंदुस्तान आपको सीधे उदयपुर ले चलता है, जहां सिटी पैलेस से महज 200 मीटर की दूरी पर जगत के ईश श्री जगदीश विराजमान हैं. कोरोना काल में तो नहीं, लेकिन सामान्य दिनों में प्रभु की शरण में प्रतिदिन कई श्रद्धालु पहुंचते हैं.
भारतीय परंपरा में शिव और शक्ति का संवाद सभी ज्ञान का मूल माना जाता है. जगदंबा प्रश्न करती हैं और भोलेनाथ जवाब देते हैं. इसी तरह ज्ञान की गंगा बहती चली जाती है. जिसमें डुबकी लगाकर भक्तजन तृप्त हो जाते हैं.
भारत भूमि अवतारों की भूमि हैं. गीता में श्री हरि की ओर से आश्वासन दिया गया है कि वह धर्म की हानि होने पर जरूर अवतार लेंगे. भगवान विष्णु के देश भर में कई बड़े छोटे मंदिर हैं. गोरखपुर स्थित श्री विष्णु मंदिर अपने आप में प्राचीनता और आध्यात्म की धरोहर है, जानिए इस मंदिर का इतिहास
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष और नवरात्र के मध्य तकरीबन एक माह का मलमास या अधिकमास या अधिमास पड़ रहा है. इसकी शुरुआत आज 18 सितंबर से हो रही है. यह अब 16 अक्टूबर तक रहेगा. इसके समाप्त होने के अगले दिन से देवी भगवती के पवित्र नवरात्र की शुरुआत होगी और श्रद्धालु महालया की पूजा करेंगे.
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष और नवरात्र के मध्य तकरीबन एक माह का मलमास या अधिकमास या अधिमास पड़ रहा है. इसकी शुरुआत आज 18 सितंबर से हो रही है. यह अब 16 अक्टूबर तक रहेगा. इसके समाप्त होने के अगले दिन से देवी भगवती के पवित्र नवरात्र की शुरुआत होगी और श्रद्धालु महालया की पूजा करेंगे.