डियर जिंदगी: स्‍वयं को दूसरे की सजा कब तक!
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डियर जिंदगी: स्‍वयं को दूसरे की सजा कब तक!

जिंदगी में सब कुछ नियंत्रण में होना संभव नहीं. हमें हर चीज के लिए दूसरों को दोष देने, खुद को कोसते रहने की जगह नई ‘कोपल’ की तरह मुश्किलों के बाद भी खिलने की कोशिश करनी चाहिए.  

डियर जिंदगी: स्‍वयं को दूसरे की सजा कब तक!

उनको पिता से बहुत शिकायत है. इतनी कि कई बार वह उनसे ऐसे रूठ जाती हैं कि महीनों बात नहीं करतीं. उनका कहना है कि अगर पिता ने साथ दिया होता, तो वह आज कुछ ‘और’ होतीं. उनकी शिकायत कितनी बासी है, इसका अनुमान ऐसे लगाइए कि उनकी पंद्रह बरस की बेटी को भी पता है कि मां कभी-कभी नाना से क्‍यों अचानक नाराज हो जाती है. इस बच्‍ची की मां और नाना में इस तरह रूठना, मनाना चलता रहता है, क्‍योंकि दोनों एक ही शहर में हैं.


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